हिमवंती मीडिया/मंडी

मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (नवाचार, डिजिटल प्रौद्योगिकी और गवर्नेंस) गोकुल बुटेल ने आज आईआईटी, मंडी में आयोजित ‘आईडिया मैटर मोस्ट’ टॉक शो में बतौर विशिष्ट अतिथि भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता आईआईटी के निदेशक लक्ष्मीधर बेहरा ने की तथा डॉ0 अमित कुमार पांडे, सीटीओ-स्पेस रोबोटिक एंड एआई भी इसमें शामिल हुए। कार्यक्रम की थीम ‘‘मानव-एआई भागीदारी: एक साथ मिलकर कल को आकर देना” है। इस अवसर पर गोकुल बुटेल ने कहा कि प्रदेश सरकार सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में युवाओं को पारंगत करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय ले रही है। एआई व मशीन लर्निंग आधारित पाठ्यक्रमों को शामिल कर युवाओं को दक्ष बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एआई में सरकारी प्रक्रियाओं को अधिक कुशल, पारदर्शी और नागरिक-केंद्रित बनाकर प्रदेश में शासन और लोक प्रशासन को बदलने की क्षमता है। स्वचालित शिकायत निवारण प्रणाली सार्वजनिक शिकायतों का त्वरित समाधान सुनिश्चित कर सकती है। गोकुल बुटेल ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता सिर्फ़ एक उपकरण नहीं अपितु एक परिवर्तनकारी शक्ति है जो शासन को फिर से परिभाषित कर सकती है, इसे और अधिक कुशल, पारदर्शी और नागरिक-केंद्रित बना सकती है। शासन का भविष्य उन लोगों के हाथों में है जो नैतिक रूप से, जिम्मेदारी से और अभिनव रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सामाजिक भलाई के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता को अपनाते हुए इससे प्रेरित नवाचार विकसित कर गाँवों, दूरदराज के समुदायों और वंचित आबादी को लाभ पहुँचाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि बेहतर आपदा प्रबंधन में भी एआई मदद कर सकता है, खासकर हिमाचल जैसे भौगोलिक रूप से संवेदनशील राज्य में इसका बेहतर उपयोग किया जा सकता है। हिमाचल अपने पहाड़ी इलाकों और अप्रत्याशित मौसम के कारण भूस्खलन, बादल फटने, भूकंप और जंगल की आग जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए संवेदनशील है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता आपदाओं की भविष्यवाणी करने, उन्हें रोकने और उनका जवाब देने, डेटा-संचालित निर्णय लेने और जीवन बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। आपदाओं के घटित होने से पहले उनका पूर्वानुमान लगाने के लिए मौसम के पैटर्न, भूकंपीय गतिविधि और उपग्रह इमेजरी का विश्लेषण कर सकता है। मशीन लर्निंग मॉडल जोखिम कारकों का पता लगा सकते हैं और अधिकारियों और जनता को समय पर अलर्ट जारी कर सकते हैं। एआई-संचालित भूस्खलन पूर्वानुमान मॉडल कांगड़ा, मंडी, किन्नौर और चंबा जैसे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में संभावित भूस्खलन के बारे में चेतावनी देने के लिए मिट्टी की नमी, वर्षा के आंकड़ों और इलाके की स्थितियों का विश्लेषण कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि एआई-संचालित ड्रोन और उपग्रह इमेजरी आपदा प्रभावित क्षेत्रों के बारे में वास्तविक समय में अपडेट प्रदान कर सकते हैं, जिससे अधिकारियों को नुकसान का आकलन करने और राहत प्रयासों को अधिक प्रभावी ढंग से तैनात करने में मदद मिलती है। भारी बर्फबारी के दौरान यह सड़क रुकावटों के आधार पर आपातकालीन सेवाओं के लिए सर्वोत्तम मार्ग सुझा सकता है। एआई चैटबॉट और वॉयस असिस्टेंट स्थानीय भाषाओं में महत्वपूर्ण जानकारी प्रसारित कर सकते हैं, लोगों को निकासी मार्गों, सुरक्षा उपायों और आपातकालीन संपर्कों पर मार्गदर्शन कर सकते हैं।
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