विधानसभा द्वारा की गई भर्तियों में उठ रहे सवाल बेहद गंभीर:- नेता प्रतिपक्ष

हिमवंती मीडिया/शिमला

शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि विधानसभा द्वारा की गई भर्तियों में उठ रहे सवाल बेहद गंभीर हैं।  इस मामले में सरकार जवाब दे। इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल अभ्यर्थियों द्वारा धांधली के बहुत गंभीर आरोप लगाए गए हैं जिनका स्पष्टीकरण सरकार को देना चाहिए। भर्ती प्रक्रिया में शामिल अभ्यर्थियों द्वारा लगाया गया आरोप इस भर्ती प्रक्रिया की सुचिता पर भी सवाल खड़ा कर रहा है। ऐसे में सरकार को इस मामले की जांच करवानी चाहिए। जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। जयराम ठाकुर ने कहा कि विधानसभा की भर्तियों को लेकर पूरे प्रदेश से आवाज उठ रही है।  सोशल मीडिया हजारों आम लोगों और अभ्यर्थियों के सवालों से अरब धांधली के आरोपों से भरा हुआ है। इस भर्ती के अभ्यर्थियों द्वारा भर्ती की प्रकिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं। धांधली और मनमर्जी के जो आरोप लग रहे हैं वह बहुत शर्मनाक है। इसके अलावा मुझे प्रदेश के हजारों युवाओं के संदेश प्राप्त हुए। सब के भर्ती प्रक्रिया और चयनित अभ्यर्थियों को लेकर कई सवाल हैं। सारे सवाल वाजिब हैं। उनके द्वारा जो भी तथ्य प्रस्तुत किए जा रहे हैं, जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं वह बेहद गंभीर प्रवृत्ति के हैं। पूरे मामले में भारी धांधली नजर आ रही है। इस मामले में दूध का दूध और पानी करने के लिए इस मामले की जांच की जानी चाहिए। आरोपों के हिसाब से दाल में काला नहीं पूरी दाल ही काली नज़र आ रही है। विधानसभा की सुचिता बनाए रखने के लिए इस मामले की निष्पक्ष और प्रभावी जांच किए जाने की आवश्यकता है। भाजपा इस पूरी भर्ती प्रक्रिया की जांच की मांग करती है।

जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव में प्रदेश के एक लाख युवाओं को हर साल नौकरी देने के वादे के साथ सत्ता में आई थी। इसमें से पहले वादा यही था की पहली कैबिनेट में ही सरकार एक लाख युवाओं को रोजगार देगी। 18 से 59 साल आयु वर्ग की सभी महिलाओं को सम्मान निधि के तहत 1500 रुपए देगी। युवाओं को स्टार्टअप योजना के तहत आर्थिक सहायता दी जाएगी। हिमाचल विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस के द्वारा की गई 10 गारंटी भारत की राजनीति के 10 सबसे बड़े झूठ के रूप में याद की जाएगी। व्यवस्था परिवर्तन वाली सुख की सरकार में नौकरियों का आलम यह है कि 2 लाख से ज्यादा पद समाप्त कर दिए गए हैं। आए दिन प्रभावी पदों का भी युक्तिकरण किया जा रहा है। कर्मचारियों की भर्ती करने वाले सबसे बड़े कर्मचारी चयन आयोग को सफेद हाथी बनाकर रखा गया है। सत्ता में आते ही मुख्यमंत्री ने नौकरी देने वाले संस्थान को ही भंग कर दिया। पूर्व सरकार द्वारा करवाई गई भर्तियों के परिणाम भी नहीं जारी किए जा रहे हैं। जो भर्तियां हो भी रही हैं उसमें इस तरह के पक्षपात के आरोप लग रहे हैं जो अविश्वसनीय हैं। इस भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों को लेकर जिस तरीके के मीम सोशल मीडिया पर बन रहे हैं मैं यहां उनके शब्दों का प्रयोग भी उचित नहीं समझता।  मुख्यमंत्री झूठे प्रवचन के अलावा कुछ नहीं करते हैं। उन्हें यह बात समझनी चाहिए कि अब झूठे प्रवचन से काम नहीं चलेगा इसलिए वह इस भर्ती प्रक्रिया के मामले की जांच करवाएं।

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