राज्यपाल ने भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा सेवा के 2024 बैच के प्रशिक्षण कार्यक्रम का किया उद्घाटन

हिमवंती मीडिया/शिमला

हिमाचल प्रदेश के माननीय राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने आज भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा सेवा के 2024 बैच के प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन और राष्ट्रीय लेखा परीक्षा एवं लेखा अकादमी के उत्कृष्ट सेवा के 75 वर्ष पूरे होने के समारोह में भाग लिया। राष्ट्रीय लेखापरीक्षा तथा लेखा अकादमी ,भारतीय लेखापरीक्षा तथा लेखा विभाग का शीर्ष प्रशिक्षण संस्थान है। यह अकादमी संघ लोक सेवा परीक्षा  द्वारा चयनित भारतीय लेखापरीक्षा तथा लेखा सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियो को प्रारम्भिक प्रशिक्षण प्रदान करती है। माननीय राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ला ने 17 भारतीय एवं 2 भूटानी प्रशिक्षु अधिकारियों को सेवा मे आने पर शुभकामनायें दी। माननीय राज्यपाल ने सभी प्रशिक्षु अधिकारियों को अपना कर्तवय सत्यनिष्ठा और ईमानदारी से करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि आपका समूह काफी विविधता से भरा है जिसमें डॉक्टर, इंजीनियर तथा अन्य सेवाओं से  है। यह सेवा के महत्व को साबित करता है। आपकी अकादमी का उज्जवल इतिहास रहा है। अपने उद्घोषन मे उन्होंने कहा कि सीएजी की  रिपोर्ट जनता के विश्वास का कारक बनती है। भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा विभाग का इतिहास बहुत ही पुराना है एवं हमारे देश के शासन पद्धति से बहुत ही गहराई के साथ जुड़ा हुआ है। अपनी स्थापना के बाद इस संस्थान ने बहुत ही महत्वपूर्ण दस्तावेज़ देश के सामने रखे है। साथ ही उन्होने प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुये यह संदेश दिया कि आपके काम  का नैतिक आधार सर्वोपरि हो। इस शुभ अवसर पर माननीय राज्यपाल ने राष्ट्रीय लेखा परीक्षा एवं लेखा अकादमी के उत्कृष्टता के 75 वर्ष पूरे होने पर भारतीय डाक विभाग के सहयोग से राष्ट्रीय लेखा परीक्षा एवं लेखा अकादमी पर एक विशेष आवरण का अनावरण एवं एक वैबसाइट academy@75 को लॉन्च किया।

इस शुभ अवसर पर उपस्थित, उप-नियंत्रक महालेखापरीक्षक सुश्री रेबेका मथाई ने अपने सम्बोधन में अतिथियों को संबोधित करते हुये कहा कि राष्ट्रीय अकादमी की स्थायी विरासत हमारे देश की प्रगति के ताने-बाने के साथ गहराई से जुड़ी हुई है। तीन-चौथाई सदी से, जब से नए भारत का संविधान अस्तित्व में आया है, NAAA सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में अखंडता और उत्कृष्टता के एक अटूट स्तंभ के रूप में खड़ा है। इसका इतिहास अनगिनत व्यक्तियों – प्रशिक्षुओं, संकाय और पूर्व छात्रों – की प्रतिबद्धता का वसीयतनामा है, जिन्होंने सार्वजनिक सेवा के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए खुद को समर्पित किया है। अकादमी के महानिदेशक श्री मनीष कुमार ने इस अवसर पर बताया कि जैसे एक पौधे को सींचकर वृक्ष बनाने का कार्य महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील है, किसी भी प्रशिक्षण संस्थान में एक प्रशिक्षु अधिकारी को जीवन एवं कार्यक्षेत्र के हेतु तैयार करने का काम वैसा ही है। न केवल लेखा, लेखापरीक्षा एवं सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं को समझाना आवश्यक है, अपितु विभिन्न जीवन मूल्यों को समझाना उससे भी ज़्यादा आवश्यक है। राष्ट्रीय लेखा परीक्षा एवं लेखा अकादमी के उत्कृष्टता के 75 वर्ष पूरे होने उन्होने यह बताया कि यह अवसर होगा एक तरफ़ अपनी उपलब्धियों पर गर्व करने का वहीं दूसरी तरफ़ उत्कृष्टता के प्रति अपनी वचनबद्धता को दोहराने का, आने वाले समय में शासन व्यवस्था में जबावदेही के नए आयामों को जोड़ने का ताकि विकसित भारत के निर्माण की पृष्ठभूमि बन सकें।

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