धर्मशाला में हुई एकीकृत बागवानी विकास मिशन समिति की बैठक

हिमवंती मीडिया/धर्मशाला

हिमाचल की स्वच्छ आबोहवा के कारण यहां के वातावरण में तैयार हुए फल, सब्जियां और अन्य कृषि उत्पाद पौष्टिकता के मामले में अनेक गुणों से परिपूर्ण होने के साथ शुद्धता की गारंटी भी देते हैं। यदि यहां के बागवानी और कृषि उत्पादों की सही ढंग से ब्रांडिंग और मार्केटिंग की जाए तो पर्यटन के साथ-साथ यह उत्पाद भी देश भर के लोगों को आकर्षित कर सकते हैं, जिसका सीधा लाभ हमारे किसानों और बागवानों को पहुंचेगा। बृहस्पतिवार को धर्मशाला में जिला कांगड़ा बागवानी मिशन समिति की बैठक अध्यक्षता करते हुए अतिरिक्त उपायुक्त विनय कुमार ने यह उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने जिले के प्रगतिशील बागवान और किसानों के उत्पादों को ‘अपना कांगड़ा’ और ‘हिम इरा’ ऐप से जोड़कर ऑनलाइन मार्केट उपलब्ध करवाने के निर्देश विभाग को दिए। एडीसी ने कहा कि जिस प्रकार कुल्लू शॉल की गुणवता और उसकी सही ब्रांडिंग से आज देश-विदेश में उसकी मांग है। उसी प्रकार यहां के शुद्ध और प्राकृतिक उत्पादों की ब्रांडिंग और सर्टिफिकेशन कर विभाग उनके लिए बाजार उपलब्ध करवाने की दिशा में कार्य करे। उन्होंने कहा कि जिले के कई प्रगतिशील किसान और बागवान अनुकरणीय कार्य कर प्राकृतिक रूप से शुद्ध उत्पाद अपने खेतों में उगा रहे हैं। उनकी मेहनत को सफल बनाने और अन्य किसानों को प्रेरित करने के उद्देश्य से विभाग को उनको मार्केट उपलब्ध करवाने की दिशा में काम करना चाहिए।

उन्होंने विभाग को किसानों के लिए स्टोरेज युनिट और संग्रह केंद्र बनाने के भी निर्देश दिए। एडीसी ने बताया कि जिला कांगड़ा में एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत वर्ष 2025-26 के लिए लगभग 27 करोड़ 34 लाख रूपये की वार्षिक कार्य योजना को अन्तिम रूप देकर सरकार को स्वीकृत हेतु प्रेषित किया गया है। उन्होंने कहा कि बागवानी के समग्र विकास हेतु वर्ष 2003-04 से बागवानी मिशन चलाया जा रहा है, जिसके तहत जिला कांगड़ा में बागवानी के विभिन्न मदों पर पिछले 5 वर्षों में लगभग 126 करोड़ 63 लाख रूपये खर्च किए गए हैं। उन्होंने बताया कि इसके चलते जिले में 3636 किसानों को लाभान्वित किया गया है। बैठक में जिला उद्यान उप निदेशक डॉ. कमल शील नेगी ने मुख्यातिथि का स्वागत करते हुए बताया कि 2733.72 लाख रूपये की इस वार्षिक कार्य योजना से फल उत्पादन और बागवानी से जुड़े अन्य क्षेत्रों को विस्तार दिया जाएगा। जिनमें मुख्यतः 2 करोड़ 50 लाख रूपये की लागत से 207 हेक्टेयर भूमि में फल आधारित खेती का विस्तार किया जाएगा। इसके अलावा 56 लाख रूपये सब्जियों व मसालों, 4 करोड़ 60 लाख रूपये खुम्ब खेती, 7 करोड़ 76 लाख रूपये फूलों व सब्जियों की 87000 वर्गमीटर क्षे़त्र में संरक्षित खेती, 5 करोड़ 98 लाख रूपये बागवानी यंत्रीकरण, तकनीक के प्रचार के लिए 2 करोड़ 25 लाख, 38 लाख रूपये प्रशिक्षण, 55 लाख रूपये मिशन प्रबंधन और 2 करोड़ 41 लाख रूपये एकीकृत फसलोत्तर प्रबंधन पर खर्च करने का प्रस्ताव है।

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