पूरे विपक्ष ने मांगा मुख्यमंत्री का इस्तीफा, सरकार को सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं बोले जयराम ठाकुर

हिमवंती मीडिया/शिमला 
शिमला, भाजपा के नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने हिमाचल में चल रहे पुलिस अधीक्षक, डीजीपी एवं विमल नेगी मृत्यु प्रकरण पर सरकार एवं प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में आकंठ भ्रष्टाचार एवं उसे भ्रष्टाचार को दबाने के कारण प्रदेश के एक सरकारी अधिकारी विमल नेगी की मृत्यु हुई। उन्होंने कहा कि हम यह भी कह सकते हैं की सरकार ने अपने कांग्रेसी नेताओं के भ्रष्टाचार को दबाने के लिए एक बली ली और आने वाले समय में कितनी और बलिया लेंगे इसका अभी पता नहीं। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि विधानसभा का पूरा विपक्ष आज मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह का इस्तीफा मांगता है क्योंकि जिस प्रकार से विमल नेगी मामले में भ्रष्टाचार को दबाने की बात सामने आई है और विमल नेगी के परिजनों को न्याय से दूर रखने का कार्य किया है इस कृतज्ञता के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री को अपनी कुर्सी पर बने रहने का किसी भी प्रकार का अधिकार नहीं है और वर्तमान कांग्रेस सरकार को सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है। उन्होंने कहा कि आज भी जनता एवं विमल नेगी के परिवारजन पूछ रहे हैं कि यह मृत्यु कैसी हुई और प्रथम दिन से वह हिमाचल प्रदेश में हो रही जांच से संतुष्ट नहीं थे इसलिए सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे, अपितु मुख्यमंत्री को लगातार झूठ बोलने की आदत हो गई है और वह लगातार कह रहे थे कि नेगी के परिवार ने कभी सीबीआई जांच मांगी ही नहीं, आज उच्च न्यायालय का फैसला आया है और उन्होंने सीबीआई को जांच सौंप है इसके लिए हम उच्च न्यायालय का आभार भी व्यक्त करते हैं। जयराम ठाकुर ने भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए बताया कि सूत्रों के अनुसार हमें पता लगा है कि पेखुबेला सोलर पावर प्लांट में नियम के अनुसार 10% लिक्विडेशन चार्ज काटे जाने थे जिसका कुल योग 22 करोड़ है, परंतु इस सोलर प्रोजेक्ट के लिए सरकार ने सरकारी अधिकारियों द्वारा दबाव डलवा कर 13 करोड़ की पेमेंट जारी करवाई यह पावर प्रोजेक्ट एक बहुत बड़ा कारण है जिसके कारण विमल नेगी ने अपनी जान गवाई। ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस के नेताओं और सरकार के अधिकारियों ने मिलकर भ्रष्टाचार को संरक्षण दिया है। एचपीसीएल में संचय में आने वाले अधिकारियों को और मजबूत किया गया है एवं ज्यादा संरक्षण दिया गया है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि ऐसा सामने आया है जैसे पुलिस अधीक्षक को सरकार द्वारा ज्यादा शक्तिशाली बना दिया गया है और जिस प्रकार से उन्होंने अपने उच्च अधिकारी डीजीपी के खिलाफ प्रेस वार्ता की उसे सीधा स्पष्ट होता है की वर्तमान पुलिस अधीक्षक सरकार के संरक्षण में इस प्रकार के कार्य कर रहा है, डीजीपी ने जो शपथ पत्र उच्च न्यायालय में दिया है उसमें पुलिस अधीक्षक के बारे में गंभीर आरोप लगाए हैं। वैसे तो पुलिस को अनुशासन के लिए जाना जाता था, पर पुलिस के इस झगड़े के बाद अनुशासनहीनता के लिए जाना जाएगा। हिमाचल में पुलिस अधीक्षक एवं एडवोकेट जनरल जिस प्रकार से प्रेस वार्ता कर उच्च न्यायालय के दिए गए फैसले को चुनौती दे रहे हैं वह भी न्यायालय का कंटेंप्ट है इन पर कार्यवाही होनी चाहिए। पर पुलिस अधीक्षक के इतने हौसले बढ़ गए कि वह डीजीपी, पूर्व डीजीपी, चीफ सेक्रेटरी एवं भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगा रहे हैं ऐसा आज तक हिमाचल प्रदेश के इतिहास में कभी नहीं हुआ। जयराम ठाकुर ने सरकार के सामने कुछ मांगे रखी जैसे जिन अधिकारियों ने रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ की है उन पर सख्त कार्रवाई हो। जिन कांग्रेस नेताओं को संरक्षण मिला है उन पर सख्त एक्शन हो। फॉरेंसिक जांच में सामने आया की नेगी की पेन ड्राइव को फॉर्मेट किया गया है इस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। पेन ड्राइव को ले जाने वाले असी पंकज का क्या रोल है, इसकी जांच होनी चाहिए। पंकज लाइन हाजिर हो गया है तो उसको पुलिस की प्रोटेक्शन की मांग क्यों उठ रही है क्या उसे जान का खतरा है। इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। उच्च न्यायालय ने कहा है की जांच में कोई भी हिमाचल का पुलिस अवसर शामिल नहीं होना चाहिए इसको अमल करना चाहिए। सीबीआई देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी है उसमें सरकार को विश्वास रखना चाहिए। सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि विमल नेगी की मृत्यु हत्या है या आत्महत्या ?

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