हिमवंती मीडिया/शिमला
राजस्व, बागवानी, जनजातीय विकास एवं जन शिकायत निवारण मंत्री जगत सिंह नेगी ने एफआरए (वन अधिकार अधिनियम-2006) के संबंध में समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 में वन अधिकार अधिनियम को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्रदान की गई थी और 1 जनवरी, 2008 से वन अधिकार नियम लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि एफआरए 2006 के तहत अनुसूचित जनजाति व अन्य सभी श्रेणी के सदस्य या समुदाय जो 13 दिसंबर, 2005 से पहले कम से कम तीन पीढ़ियों से प्राथमिक रूप से वन भूमि पर निवास करते आ रहे हैं और अपनी आजीविका की वास्तविक जरूरतों के लिए वन या वन भूमि पर निर्भर हैं, को भूमि का अधिकार दिया जाएगा।
राजस्व मंत्री ने बैठक में एफआरए के संबंध में कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि पंचायत सचिव स्तर से जिला स्तरीय कमेटी तक के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों का एफआरए कार्य एसीआर में रिफलेक्ट होगा। उन्होंने पटवारी व कानूनगो की जबावदेही सर्विस गारंटी एक्ट के तहत तय करने के भी निर्देश दिए। राजस्व मंत्री ने आपदा राहत से संबंधित मामलों की भी समीक्षा की और अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। बैठक में विशेष सचिव राजस्व डीसी राणा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
उपायुक्त कुल्लू तोरूल एस. रवीश, उपायुक्त बिलासुपर राहुल कुमार, एडीएम चंबा और एडीएम शिमला वर्चुअल माध्यम से बैठक में शामिल हुए।
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