भविष्य के सपनों में आशा की किरण बनकर उभर रही ‘इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना’:- आशा पुरी

हिमवंती मीडिया/शिमला 

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिहं सुक्खू के अत्यन्त आभारी है। उनके अथक प्रयासों के फलस्वरूप अब हमारे बच्चे बेहतर शिक्षा प्राप्त करके अपने सपनों को साकार कर पा रहे हैं। ऊना जिला की आशा पुरी ने इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना के बारे में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का आभार प्रकट करते हुए कहा कि हम ऐसी सरकार बार-बार देखना चाहते हैं। आशा ने करीब पांच साल पहले अपने बेटे को खो दिया था। तब से वह अपनी बहू और दो पोतियों के साथ रह रही हैं। परिवार को लड़कियों की पढ़ाई का खर्च वहन करना तो दूर अपने दिनचर्या के खर्चे उठाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे कठिन समय में इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना उनके लिए उम्मीद की किरण बनी।
आशा की बहू पूजा पुरी का कहना है कि पति की मृत्यु के बाद परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा था। बच्चों की शिक्षा जारी रखना बहुत कठिन हो गया था। हमने इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना के तहत आवेदन किया और अब दोनों बेटियां राज्य सरकार से मासिक आर्थिक सहायता प्राप्त कर रही है। राज्य सरकार द्वारा उन्हें प्रतिमाह 1000-1000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। इसी तरह चंबा जिले की दूरस्थ पांगी घाटी के लुज गांव की वर्षा ने वर्ष 2014 में अपने पिता को खो दिया था। उनके पिता की मृत्यु के बाद परिवार की आय का मुख्य स्रोत समाप्त हो गया था, क्योंकि उनके पिता ही परिवार के अकेले कमाने वाले व्यक्ति थे। वर्षा का कहना है कि पिता की मृत्यु के पश्चात मेरी मां शिक्षा का खर्च नहीं उठा सकी।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की कल्याणकारी सोच इस योजना के माध्यम से शिक्षा की पहुंच को व्यापक बना रही है। इस योजना के तहत विधवा, बेसहारा, परित्यक्त महिलाओं या दिव्यांग माता-पिता के 18 वर्ष तक के बच्चों को उनकी मूलभूत शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए प्रतिमाह 1000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है। उच्च शिक्षा के लिए, सरकारी संस्थानों में डिग्री, डिप्लोमा या व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में नामांकित 18 से 27 वर्ष की आयु के छात्रों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जा रही है। छात्रावास की सुविधा उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में पीजी आवास के लिए 3,000 रुपये प्रति माह की वित्तीय सहायता दी जाती है। वर्तमान में 18 वर्ष तक की आयु के 21,288 बच्चे तथा 18 से 27 वर्ष की आयु तक के 3,347 विद्यार्थियों को इस योजना के तहत लाभार्थी के रूप में चिन्हित किया गया है। राज्य सरकार द्वारा इस योजना के क्रियान्वयन के लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 के दौरान लगभग 28.23 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस योजना की पात्रता के लिए आवेदक हिमाचल प्रदेश का स्थायी निवासी होना चाहिए तथा परिवार की वार्षिक आय एक लाख रुपये से कम होनी चाहिए।

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