युवाओं को सांस्कृतिक प्रदूषण से बचाना है हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी:- अनुराग सिंह ठाकुर 

हिमवंती मीडिया/शिमला
पूर्व केंद्रीय मंत्री व हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने आज देहरादून के हिमालयन कल्चरल सेंटर में हिन्दू नव वर्ष के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि ऐसे समय में जब भारत के सेकुलर और विपक्ष के आईडियल सांगा, शिवाजी, महाराणा नहीं बाबर औरंगज़ेब हो चुके हैं तो युवाओं को सांस्कृतिक प्रदूषण से बचाना हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी हो जाती है। अनुराग सिंह ठाकुर में कहा” आज हिन्दू नव वर्ष व चैत्र नवरात्रि के अवसर पर मैं अपनी शुभकामनाएँ देते हुए कहता हूँ कि हमारे भारत के गौरवशाली इतिहास को एक षड्यंत्र के तहत हमसे छुपाया गया। आप देखिए सैकड़ों सालों से हमें तो कुछ और ही कहानियां सुनाई जाती रही हैं। हमें तो बाबर महान, हुमायूँ महान, औरंगजेब टोपी सिलता ऐसी ही कहानियाँ सुनाई गयी । जिन्होंने भारत में गजवा ए हिन्द के नाम पर आतंक, नरसंहार और लूटमार किया, हमारे मंदिर तोड़े, उन लुटेरों को दयावान, महान और भारत का निर्माता कह कर पेश किया गया और भारत माता के वो लाल जिन्होंने जिहाद का जहर फ़ैलाने वाले सुल्तानों के खिलाफ लड़ाइयां लड़ी उन्हें लुटेरा और खलनायक साबित करने का अभियान चलाया। ये कहानियां सुनाई ही नहीं गयी बतौर इस झूठ को स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाया गया। ब्रिटिश साम्राज्यवाद, मुगलिया मानसिकता और जहरीले वामपंथ की तिकड़ी ने योजनावद्ध तरीके से भारत के असली इतिहास को मिटा कर नकली इतिहास से बदलने की कोशिशें की हैं। यहाँ तक कि इन्होंने हमारे मन में सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति के प्रति हीन भावना पैदा करने के लिए एक झूठा प्रचार तंत्र खड़ा किया।
अनुराग सिंह ठाकुर में कहा ये विपक्ष के नेताओं ने हमारे पूर्वजों, हमारे नायकों, भारत की गौरवों को अपमानित करने, छवि धूमिल करने को आदत में डाल लिया है। आज देश पूछ रहा है कि चंद वोटों की ख़ातिर आप अपने स्वाभिनाम को क्यों बेच डाला? दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँच गई लेकिन भारत में मुग़लिया सोच की औलादें अभी भी 17 वीं सदी में जी रही हैं। इनके आईडियल सांगा, शिवाजी, महाराणा नहीं बाबर औरंगज़ेब हैं। एक आक्रांता जिसने देश के बहुसंख्यकों पर अनगिनत अत्याचार किये  उसके नाम पर सड़कें रखी गयी । औरंगजेब के कब्र को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा भी दिया गया जहाँ टैक्स पेयर के पैसों से चौबीस घंटे अगरबत्तियाँ जलती हैं । और जब यह देश राणा सांगा और उनके शौर्य की बात करता है तो इनके सीने में शूल सा चुभ जाता है । अतिक्रमण मात्र हमारी सीमाओं का नहीं हुआ था, घुसपैठ हमारी सीमाओं में नहीं हुए हैं । चोरी सिर्फ हमारे एतिहासिक धरोहरों की नहीं हुई ।यह घुसपैठ और अतिक्रमण हमारे संस्कृति और इतिहास में भी हुआ है, हमारे सोच पर कब्जा करने की कोशिश की गयी। आज यह सच सामने लाने और हमारी युवा पीढ़ी को सांस्कृतिक प्रदूषण से बचाना हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है। आज हम इतिहास के उस मोड़ पर खड़े हैं जहाँ विश्व नेतृत्व के लिए भारत की ओर देख रहा है और वह क्षण दूर नहीं है। हमें हजार साल आगे के भारत की दिशा तय करनी है और यह काम युवाओं को करना है । आज पूरे विश्व में भारत के युवा भारत की संस्कृति की पहचान बन रहे हैं और हम ब्रांड भारत के उस निर्णायक मोड़ पर खड़े हैं जहाँ से हमारा सुनहरा और उज्ज्ल्व भविष्य दिख रहा है।

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