दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू होने से नई ऊंचाइयां छू रही है हिमाचल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था:- मुख्य मंत्री

हिमवंती मीडिया/शिमला

हिमाचल प्रदेश सरकार ने दूरदर्शी सोच अपनाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में ऐतिहासिक पहल की है। सरकार का स्पष्ट लक्ष्य है कि गांव, किसान, महिलाएं और ग्रामीण युवा प्रदेश की आर्थिक प्रगति के केंद्र में हों। इसी नीति के अंतर्गत, दूध उत्पादकों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य दिलाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू किया गया है, जो हिमाचल के इतिहास में एक उल्लेखनीय और क्रांतिकारी कदम है। दूध उत्पादन, बागवानी, पशुपालन, प्राकृतिक खेती और महिला स्वयं सहायता समूहों को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए विभिन्न योजनाएं लागू की गई हैं। प्रदेश सरकार ने देश में पहली बार दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। हिमाचल प्रदेश दुग्ध प्रसंघ 38,400 किसानों से प्रतिदिन औसतन 2.25 लाख लीटर गाय का दूध 51 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीद रहा है। वर्ष 2024-25 के दौरान प्रसंघ के द्वारा औसतन 1.57 लाख लीटर प्रतिदिन दूध की खरीद की गई। इसी प्रकार 1,482 भैंस पालकों से प्रतिदिन 7,800 लीटर दूध 61 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदा जा रहा है। एक नई पहल के अंतर्गत ऊना जिला में पायलट आधार पर बकरी पालकों से 70 रुपये प्रति लीटर की दर से बकरी का दूध खरीदा जा रहा है। इसी प्रकार प्रसंघ द्वारा किसानों से प्रतिदिन कुल मिलाकर 2.32 लाख लीटर दूध की खरीद की जा रही है। मिल्कफेड ने दूध संग्रहण प्रक्रिया और इकाइयों का डिजिटलीकरण पायलट के आधार पर 8 समितियों में शुरू कर दिया है। हिम गंगा योजना को पहले चरण में हमीरपुर और कांगड़ा जिलों में पायलट आधार पर शुरू किया है। मिल्कफेड ने अब तक 268 नई समितियों का गठन किया है, जिनमें से 46 नई समितियां हमीरपुर जिले और 222 समितियां कांगड़ा जिले से संबंधित हैं, जिनमंे 20 महिला समितियां शामिल हैं। प्रसंघ ने कांगड़ा जिले में 107 व हमीरपुर जिले में 11 समितियां पंजीकृत की हैं। 15 नवम्बर 2024 को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह ठाकुर ने नवंबर, 2024 में शिमला जिले के दत्तनगर में 50 हजार लीटर प्रतिदिन क्षमता वाले एक नए दूध प्रसंस्करण संयंत्र का उद्घाटन किया। यह संयंत्र क्षेत्र के अधिक से अधिक दूध उत्पादकों और किसानों को जोड़कर रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है। दत्तनगर में अब कुल दूध प्रसंस्करण क्षमता 70 हजार लीटर प्रतिदिन हो चुकी है। मिल्कफेड दूध प्रसंस्करण संयंत्रों के मौजूदा बुनियादी ढांचे में सुधार की दिशा में प्रयासरत है। पिछले दो वर्षों में छह दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्रों- मंडी, दत्तनगर, नाहन, मोहल (कुल्लू), परेल (चंबा) और ढगवार (कांगड़ा)) तथा दो दूध शीतलन केंद्रों (एमसीसी सराहन, एमसीसी कटौला) और एक पशु आहार संयंत्र (भौर) के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए 19.54 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। मिल्कफेड के विभिन्न इकाइयों के मौजूदा बुनियादी ढांचे को मजबूत और विस्तारित करने का कार्य प्रगति पर है ताकि बढ़े हुए दूध की मात्रा का शीघ्र प्रसंस्करण हो सके और अधिक से अधिक किसानों को जोड़ा जा सके। हिमाचल के इतिहास में पहली बार राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के सहयोग से कांगड़ा जिले के ढगवार में 1.50 लाख लीटर से 3.00 लाख लीटर प्रतिदिन की क्षमता तक विस्तारित और पूरी तरह स्वचालित दूध प्रसंस्करण संयंत्र की स्थापना का कार्य 200.43 करोड़ रुपये की लागत से प्रगति पर है। राज्य में डेयरी गतिविधियों में सुधार के लिए नाहन, नालागढ़ और मौहल में 20 हजार एलपीडी क्षमता के तीन नए संयंत्र एनपीडीडी 2.0 परियोजना के अंतर्गत स्थापित किए जाएंगे। इससे अधिक से अधिक किसानों को नई समितियों के माध्यम से जोड़ा जाएगा और लाभ पहुंचाया जाएगा और दूध की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। ऊना और हमीरपुर में दो मिल्क चिलिंग सेंटर और रोहडू में 20 हजार एलपीडी क्षमता का दूध प्रसंस्करण संयंत्र जाईका परियोजना के तहत स्थापित किए जाएगा तथा दूर-दराज के क्षेत्रों से दूध एकत्रित कर किसानों को लाभ पहुंचाया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

GIPHY App Key not set. Please check settings

Back to Top

Ad Blocker Detected!

Refresh

Add to Collection

No Collections

Here you'll find all collections you've created before.

Close