हिमवंती मीडिया/शिमला
स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्राकृतिक खेती और पशुपालन की तकनीक बारे जानकारी देने के लिए गांव झडे़च और पधेची पंचायत के घड़ोत में एनआरएचएम के तहत विशेष शिविरों का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। इस मौके पर कृषि सखी योगमाया शर्मा ने सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती बारे महिलाओं को जानकारी दी तथा प्राकृतिक खेती में इस्तेमाल होने वाले जीवामृत का घोल बनाकर बताया। उन्होने बताया कि प्राकृतिक खेती में किसी प्रकार की रासायनिक खाद और दवाईयों का प्रयोग नहीं किया जाता है बल्कि अपने घर पर स्थानीय सामान पर तैयार किए जीवामृत, बीजामृत इत्यादि घोल तैयार करके उसका छिड़काव फसल में करना चाहिए तथा जैविक खाद का प्रयोग करें। प्राकृतिक खेती में उत्पादन लागत बहुत कम लगती है और इस तकनीक से तैयार की गई कोई भी सब्जियां अथवा अन्य फसलें स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होती है जबकि रासायनिक खाद से उगाए गई फसलें मानव जीवन के उपयोगी नहीे होती है।
उन्होने महिलाओं को प्राकृतिक खेती करने की सलाह देते हुए कहा कि इस खेती को करने के लिए घर पर उपलब्ध सामग्री और जैविक खाद का उपयोग करे। उन्होेने कहा कि प्राकतिक खेती से उगाई गई सब्जियां की बाजार में बहुत मांग है और इसके अच्छे दाम भी मिलते हैं। इस मौके पर पशु सखी मीना राणा ने महिलाओं को दुधारू पशुओं के देखभाल और उनमें लगने वाली बिमारियों के लक्षण और उपाय बारे विस्तार से जानकारी दी। उन्होने महिलाओं को अच्छी नस्ल की दुधारू गाएं पालने की सलाह देते हुए कहा कि वर्तमान में दुग्ध उत्पादन महिलाओं की आजीविका का एक मुख्य साधन बन गया है और वर्तमान में घरद्वार पर दूध के अच्छे दाम मिल रहे हैं। धात्री ग्राम संगठन की सचिव सुष्मा ठाकुर, समूह की प्रधान सीमा, रमा ठाकुर, आशा, शकुंतला, लीला, नेहा सहित अनेक महिलाओं ने कृषि और पशु पालन की व्यवहारिक जानकारी देने के लिए आभार व्यक्त किया। दोनों शिविरों में आई महिलाओं ने इस प्रकार के शिविरों का समय समय पर आयोजन करने का आग्रह किया।
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