टीबी मुक्त अभियान पर बहु-क्षेत्रीय समीक्षा बैठक उपायुक्त हेमराज बैरवा  की अध्यक्षता में आयोजित

हिमवंती मीडिया/धर्मशाला

जिला कांगड़ा में टीबी मुक्त अभियान के अंतर्गत एक बहु-क्षेत्रीय समीक्षा बैठक का आयोजन उपायुक्त हेमराज बैरवा  की अध्यक्षता में किया गया। बैठक का उद्देश्य जिले में टीबी उन्मूलन प्रयासों की प्रगति की समीक्षा करना तथा उनके प्रभावी क्रियान्वयन को और अधिक सशक्त बनाना था। डॉ. सूद ने डिफरेंशिएटेड टीबी केयर मॉडल के क्रियान्वयन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह मॉडल मरीज की गंभीरता और जोखिम के आधार पर विशेष देखभाल प्रदान करता है, जिससे टीबी से होने वाली मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकती है। वर्तमान में जिले के 89% टीबी मरीज इस मॉडल के अंतर्गत कवर किए जा चुके हैं। उन्होंने यह भी बताया कि टीबी पहुँच कार्यक्रम के अंतर्गत नगर निगम धर्मशाला क्षेत्र की सभी वार्डों में “निक्षय शिविरों” का आयोजन किया जाएगा, जिनकी तिथियाँ निर्धारित कर दी गई हैं। इन शिविरों के माध्यम से आमजन को मुफ्त जांच व शीघ्र उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। उपायुक्त हेमराज बैरवा ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जनभागीदारी अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने संवेदनशील आबादी की सार्वभौमिक स्क्रीनिंग, निक्षय मित्र योजना के तहत टीबी मरीजों को पोषण और मानसिक सहयोग प्रदान करने तथा टीबी रोकथाम उपचार (TPT) के व्यापक क्रियान्वयन पर बल दिया।

उन्होंने जानकारी दी कि जिले की 3.4 लाख आबादी में से 1.1 लाख लोगों की पहले ही अत्याधुनिक एआई-सक्षम पोर्टेबल एक्स-रे मशीनों से स्क्रीनिंग की जा चुकी है। निक्षय पोषण योजना” के अंतर्गत अब तक 715 सहमति प्राप्त टीबी मरीजों में से 644 को पोषण किट वितरित की जा चुकी हैं, जो 90% कवरेज को दर्शाता है। जिला प्रशासन ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2025 में लगभग 1300 नए टीबी मरीज सामने आ सकते हैं, जिसके लिए अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता होगी। इस दिशा में उपायुक्त ने निर्देश दिए कि उद्योग विभाग स्वास्थ्य विभाग को 6 एक्स-रे साइट्स स्थापित करने में सहयोग करेगा। मंदिर ट्रस्ट से 5 नॉट मशीनें उपलब्ध करवाई जाएंगी तथा 02 हैंडहेल्ड एक्स-रे मशीनें जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई जाएंगी। उपायुक्त ने टीबी से होने वाली मौतों पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 में जिले में 211 टीबी मरीजों की मृत्यु हुई, जिससे मृत्यु दर 7.6% रही जो अत्यंत चिंताजनक है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए कि प्रत्येक मृत्यु की गहन समीक्षा की जाए, ताकि उपचार, निदान या सहयोग प्रणाली में किसी भी प्रकार की कमी का सही समय पर पता लगाकर आवश्यक सुधार किए जा सकें। बैठक में विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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