हिमवंती मीडिया/शिमला
हिमाचल ज्ञान विज्ञान समिति के दक्षिण क्षेत्र के जिलों शिमला, सोलन और सिरमौर के कार्यकर्ताओं के लिए में संगठनात्मक शिविर मंगलवार को संपन हुआ। इस शिविर में लगभग 50 से अधिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। शिविर का उद्देश्य समिति की कार्ययोजना को सुदृढ़ करना, कार्यकर्ताओं में वैज्ञानिक सोच विकसित करना और सामाजिक सरोकार के मुद्दों पर सांझा समझ विकसित करना था। मुख्य स्रोत पर्सन डॉ. प्रमोद गौरी ने बताया कि हिमाचल का आंदोलन जमीनी स्तर का आंदोलन रहा है। उन्होंने कहा कि जनता से संपर्क करने का संगठन का तरीका बहुत ही रचनात्मक और व्यावहारिक रहा है। उत्तराखंड राज्य के अतिरिक्त निदेशक, शिक्षा एस.पी.सेमवाल ने कार्यकर्ताओं में वैज्ञानिक मानसिकता पैदा करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण के बजाय आज जिस तरह से अंधविश्वासों और रूढ़ियों का महिमा मण्डन जा रहा है वह चिंताजनक है और नई पीढ़ी के लिए प्रतिगामी कदम साबित होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुरातन में ही सब कुछ गलत थ और आधुनिक सभी कुछ सही है यह मानना भी उचित नहीं होगा।
महिला स्रोत पर्सन मनीषा हंस ने कहा कि भारतीय समाज में महिलाएं सामंती रूढ़ियों के साथ पूंजीवादी शोषण की भी शिकार हो रही हैं। उन्होंने कहा कि संगठन में महिलाओं के नेतृत्व को बढ़ाने की आवश्यकता है। सत्र में समता की राष्ट्रीय संयोजिका सुमित्रा चंदेल ने महिलाओं के कानूनी अधिकारों पर जानकारी देते हुए कहा कि महिलाओं को पारंपरिक सामाजिक भूमिकाओं से हटकर बाहर निकलने की आवश्यकता है। भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. ओ.पी. भूरेटा ने भारत ज्ञान विज्ञान समिति द्वारा टाटा ट्रस्ट के सहयोग से कुपोषण की स्थिति पर किए जा रहे अध्ययन से प्रतिभागियों को अवगत करवाया। शिविर में वरिष्ठ पत्रकार डीपी गुप्ता, जल शक्ति विभाग के रिटार्यड प्रमुख अभियन्ता जोगिन्द्र चैहान, हिमाचल ज्ञान विज्ञान समिति के राज्य सचिव सत्यवान पुण्डीर, समता की राष्ट्रीय संयोजिका सुमित्रा चंदेल, पूर्व सचिव एवं वरिष्ठ कार्यकर्ता विश्वनाथ शर्मा, युवा कार्यकर्ता कपिल शर्मा, सूर्यांश पुंडीर सहित विभिन्न स्रोत व्यक्तियों ने महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार साँझा किए।