हिमवंती मीडिया/शिमला 

राजस्व, बागवानी, जनजातीय विकास एवं जनशिकायत सुरक्षा मंत्री जगत सिंह नेगी ने आगामी सेब सीजन के लिए हितधारकों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि इस वर्ष सेब पेटियों की संख्या की रूपरेखा तय नहीं की जाएगी। इस बाज़ार पर उपकरण मौजूद है और बागवानों को नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि अगले साल से सेब पेटियों की संख्या की गणना वैज्ञानिक पद्धति से की जाएगी। बैठक में अलग-अलग मामलों पर चर्चा हुई और सेब सीज़न के दौरान पेशी वाली बैठकें और समस्याओं के समाधान के लिए विस्तृत मंथन हुआ। इस प्रक्रिया में समाधानों के बारे में गहराई से विचार-विमर्श किया गया और व्यापक दृष्टिकोण से समस्याओं का विश्लेषण किया गया। बैठक में दो सब कमेटी बनाने का निर्णय लिया गया। इसे एपीएमसी अधिनियम-2005 के तहत लागू करने का प्रावधान होगा। इसके अलावा सभी समितियों में सामूहिक संगीत कार्यक्रम करना, उत्पादन और संवर्धन, शिक्षण संस्थानों के विकास और उच्च गुणवत्ता अनुसंधान, विभिन्न हितधारकों की समस्याओं के समाधान पर ध्यान केंद्रित करना जारी रहेगा। इसके साथ बड़े सीए स्टोर बनाने की बजाय छोटे सीए स्टोर का निर्माण करने पर सहमति बनी। इसके अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य स्तर पर राज्य के सेब की मांग बढ़ेगी। छोटे आकार के सीए स्टोर का निर्माण करने से स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलेगा और उनके एसईबी की उपज को भी सीए स्टोर में रखा जा सकेगा। इससे हर गांव में सीए स्टोर बनाया गया जा किसानों और बागवानों को भी पूरी सुविधा मिली और उन्हें फसल के अच्छे दाम भी मिलेंगे।

पशुपालन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि मार्केट यार्ड के बाहर सेब डिस्पले के लाइसेंस का डिजिटल डिस्प्ले सुनिश्चित किया जाए और इसे उलंघन करने वालों के लिए अनुमोदित किया जाए। उन्होंने कहा कि सेब का वजन यूनिवर्सल कार्टन में ही होगा और 22 मील से अधिक वजन का पता चलने पर जब्त कर लिया जाएगा। जगत सिंह नेगी ने कहा कि आगामी सेब सीजन के दौरान सभी विभाग मिलकर बेहतर तालमेल से काम करें। जिला प्रशासन, पुलिस, लोक निर्माण विभाग और सभी एपीएमसी के अध्यक्षों ने भी इसमें अपना अहम योगदान दिया। उन्होंने कहा कि सेब सीजन में एक बेहतर पुलिस मानक ऑपरेशन प्रक्रिया बनाए रखने के लिए ट्रैफिक का रखरखाव किया जाए ताकि बागवानों को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। कृषकों के उद्यमियों ने सेब के आयात शुल्क पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रदेश सरकार से इस मुद्दे को केंद्र के समक्ष उठाने का आग्रह किया है। उनका कहना था कि कोटा शुल्क कम होने से प्रदेश के बागवानों की आर्थिकी पर बुरा असर पड़ेगा। बागवानी करने वाले ने हरसंभव की मदद ली। रिचर्डसन मोहन शर्मा हुए। बैठक में एपी.एमसी सोलन, एपी.एमसी एलसीएच और लाहौल-स्पीति, एपी.एमसी मंडी, एपी.एमसी ऊना, एपी.एमसी योजना, एपी.एमसी ग्रुप, एपी.एमसी बिलासपुर, एपी.एमसी एलसी और सिरमौर के अध्यक्ष और सचिव भी उपस्थित रहे।