हिमवंती मीडिया/शिमला
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से श्री राम मंदिर, शिमला में सात दिव्य श्री कृष्ण कथा का भव्य आयोजन किया गया है। कथा के समापन दिवस में आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास अवतार रूपेश्वरी भारती ने श्री कृष्ण कथा के माध्यम से अनेकों ही दिव्य रहस्यों का उद्घाटन किया। उन्होंने बताया कि प्रभु श्री कृष्ण का जीवन चरित्र हमारे जीवन के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। प्रभु की कथा एक परिवर्तन है, एक क्रांति है। जब हमारे शरीर में प्रभु का प्राकट्य होता है तब ही मनुष्य ईश्वर को प्राप्त होता है। हमारे सभी ग्रंथों में यह भी बताया गया है कि मनुष्य के जीवन का लक्ष्य ईश्वर को प्राप्त होना है। कथा में भक्त सुदामा जी का प्रसंग भी सूचीबद्ध किया गया है। सुदामा जी, जो भगवान श्री कृष्ण के सखा भी थे और भक्त भी। सुदामा जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में समर्पित कर दिया। इसी भक्ति के प्रभाव से उनके जीवन में संतोष था। भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा जी के तंदुल से भाव ग्रहण किया क्योंकि भगवान तो सदैव भाव के स्वामी हैं।
इस अवसर पर लैपटॉप ने कहा कि आज संपूर्ण क्रांति के लिए वर्तमान समाज के विभिन्न प्रश्नों को हल करना आवश्यक है। क्रांति का अर्थ है आनंद पूर्ण परिवर्तन। मनुष्य के अंदर जो विकार होते हैं, उसका कारण मन होता है। जब तक मनुष्य का मन विकसित नहीं होता तब तक वह किसी भी समाधान का अंग नहीं बन पाता। अगर समाज में बदलाव लाना है तो सबसे पहले व्यक्ति का अपना और अंतरमन में बदलाव लाना होगा। अध्यात्म द्वारा उसे जागृत करना होगा। यह परिवर्तन केवल ब्रह्म ज्ञान द्वारा ही संभव है। ब्रह्म ज्ञान का अर्थ है आपके ईश्वरीय प्रकाश की प्रत्यक्ष अनुभूति। जब गुरु हमारे मस्तक पर हाथ से दिव्य दृष्टि उद्घाटित करते हैं तो प्रथम परमात्मा के प्रकाश स्वरूप का अनुभव होता है। उसके बाद ही ध्यान की प्रक्रिया शुरू होती है। मनुष्य जीवन के सभी दुखों का एक ही समाधान ईश्वर का ध्यान है। संस्थान के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि संस्थान का उद्देश्य पूरे विश्व को बंधन में बांधना है। कथा के अंत में रुक्मणी विवाह प्रसंग का भी वर्णन किया गया है। देवता जी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी विवाह वास्तव में आत्मा और परमात्मा के मिलन की गाथा है। विवाह उत्सव में सम्मिलित सहायक गण भजनों पर झूमें।